भारत धर्म : एक सोच
सबको साथ लेकर आगे बढना होगा,
शक्तिशाली राष्ट्र का सपना तभी तो साकार होगा,
यदि भूल गए है वो,
तो धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढाना होगा,
इस देश में देश धर्म निभाना होगा !
कटुता, असत्य, देश-द्रोह, भ्रष्टाचार, अत्याचार….
न जाने कितनी ऐसी बिमारियों से जखडा मेरा देश है,
कमल खिलने से देश तो अपने आप नहीं बदल सकता,
इसे अच्छा बनाने के प्रति, हर एक को कटिबद्ध रहना होगा,
इस देश में देश धर्म निभाना होगा !
क्या हम अपने आप में इतने खो गए हैं,
के देश को फिरसे बटने देंगे ?
हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई कहने को है भाई भाई,
चार वर्ण के आधार पर अंतर करेंगे देश के जमाई !
आरक्षण को जाती का आधार और भाषणों में secularism का पाठ,
इन नितीयों को अब बदलना ही होगा,
इस देश में देश धर्म निभाना होगा !
२१ वी सदि में भी हम जातियों में उलझे हुए हैं ,
जो कभी नहीं जाती, आखिर वही तो "जाती" होती हैं !
तुम काम कुछ भी करो, भावना देश की होनी चाहिए,
आलोचना कितनी भी हो, सकारात्मक द्रुष्टीसे सोचना ही होगा,
इस देश में देश धर्म निभाना होगा !
-ab


